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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2693
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान प्रथम प्रश्नपत्र - उच्चतर पोषण एवं संस्थागत प्रबन्धन

प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।

अथवा
कार्बोहाइड्रेट की आण्विक संरचना व वर्गीकरण के बारे में विस्तारपूर्वक लिखिए।

उत्तर -

कार्बोहाइड्रेट की आण्विक रचना व संगठन (Molecular Structure & Composition of Carbohydrates 

कार्बोहाइड्रेट कार्बन, हाइड्रोजन व ऑक्सीजन के रासायनिक संयोग से बनने वाला शर्करा का एक यौगिक है। साधारण कार्बोहाइड्रेट के एक अणु में 6 परमाणु कार्बन के, 12 परमाणु हाइड्रोजन के तथा 6 परमाणु ऑक्सीजन के संयुक्त होते हैं। कार्बोहाइड्रेट में हाइड्रोजन व ऑक्सीजन का अनुपात 2: 1 का होता है इसलिए कार्बोहाइड्रेट को Hydrate of Carbon अर्थात् कार्बोहाइड्रेट नाम दिया जाता है।

कार्बोहाइड्रेट को पोलीहाइड्रिक एल्कोहल के एल्डिहाइड अथवा कीटोन व्युत्पन्न (derivatives) भी कहा जाता है।

(Carbohydrates may be defined as the aldehyde or ketone derivatives of polihydric alcohols).

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(1) मोनो- सैक्राइड्स (Mono - Saccharides)

यह कार्बोहाइड्रेट की सरलतम इकाई है। इन रासायनिक इकाइयों के संयोजन से जटिल कार्बोहाइड्रेट अणु बनते हैं। मोनो-सैक्राइड की यह विशेषता है कि उद्विच्छेदित (Hydrolysis) की क्रिया करके उन्हें और विभक्त नहीं किया जा सकता। सामान्यतः मोनो- सैक्राइड्स को हेक्सोज (Hexoses) भी कहते हैं। इसका कारण यह है कि यह 6 कार्बन परमाणुओं की श्रृंखला द्वारा निर्मित होते हैं। सभी हेक्सोजेज में कार्बन व ऑक्सीजन के 6 परमाणु तथा हाइड्रोजन के 12 परमाणु सामान्य रूप से पाये जाते हैं। इस प्रकार इनका सामान्य सूत्र C6H1206 है।

सरल कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज व फ्रक्टोज के आण्विक व रासायनिक सूत्र इस प्रकार हैं-

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मोनो-सैक्राइड्स के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

(i) ग्लूकोज (Glucose - )रासायनिक दृष्टि से कार्बोहाइड्रेट की सबसे सरल इकाई ग्लूकोज है। चीनी की अपेक्षा कुछ कम मीठा, पानी में घुलनशील व विसारशील है। सभी कार्बोहाइड्रेट पाचन के बाद अन्ततः ग्लूकोज में परिवर्तित होते हैं। कार्बोहाइड्रेट मुख्य रूप से ग्लूकोज के रूप में ही रक्त द्वारा अवशोषित किया जाता है। यह रक्त शर्करा भी कहलाती है, क्योंकि यह शर्करा रक्त प्लाज्मा व रक्त कणिकाओं में सामान्य रूप से पायी जाती है।

सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के रक्त में 100 मिली में 80-120 मिग्रा तक ग्लूकोज की मात्रा रहती है। खाना खाने के तुरन्त बाद यह मात्रा बढ़ जाती है जो धीरे-धीरे सामान्य हो जाती है। शरीर में आवश्यकता से अधिक ग्लूकोज की मात्रा यकृत व माँसपेशियों के ग्लाइकोजन के रूप में संग्रहित कर ली जाती है। आवश्यकता पड़ने पर यह संग्रहित ग्लायकोजन पुनः ग्लूकोज में विघटित कर लिया जाता है। ग्लायकोजन का संश्लेषण व विघटन यकृत में ही होता है। हमारे शरीर की ऊर्जा का बड़ा भाग ग्लूकोज द्वारा ही प्राप्त होता है। परन्तु ग्लूकोज की अधिक उपस्थिति रक्त में होने पर मधुमेह (Diabetes) नामक रोग भी हो जाता है।

ग्लूकोज की उपस्थिति मीठे पके हुए फल जैसे अंगूर, शहद, गाजर, शलजम व शकरकन्द आदि में होती है। ग्लूकोज को अंगूर की शर्करा के रूप में भी जाना जाता है। ग्लूकोज की विशेषता है कि सरलतम रूप होने के कारण शीघ्र ही रक्त द्वारा शोषित होकर ऊर्जा प्रदान करता है। इसी कारण दुर्बल या बीमार लोगों या मूच्छित अवस्था में इसे देने से व्यक्ति को शीघ्र ही लाभ होता है।

(ii) फ्रक्टोज (Fructose) - ग्लूकोज के समान ही यह भी एक सरल कार्बोज है, परन्तु ग्लूकोज से यह कुछ अधिक मीठी होती है। यह भी ठोस रवेदार व पानी में घुलनशील है। इसको फल शर्करा (Fruit Sugar) भी कहते हैं। ग्लूकोज के समान पके फल, पौधे का रस व शहद आदि फ्रक्टोज की प्राप्ति के मुख्य स्रोत हैं। गन्ने की शर्करा जिसे सुक्रोज कहते हैं, पाचन के बाद के एक अणु ग्लूकोज व एक अणु फ्रक्टोज में परिवर्तित होती है। फ्रक्टोज भी ग्लूकोज की भाँति ग्लायकोजन के रूप में संचित हो जाता है।

(2) डाइ-सैक्राइड्स (Di-Saccharides)

मोनो सैक्राइड्स की दो इकाइयों को मिलकर डाइ - सैक्राइड्स की एक इकाई की रचना होती हैं। इसलिए इन्हें दुहरी शर्करा या द्वि-शर्करा (Double Sugar) भी कहते हैं। इसका रासायनिक सूत्र C12H22O11 है। जलीय अपघटन (Hydrolysis) की क्रिया के फलस्वरूप डाइ-सैक्राइड की दोनों इकाइयाँ पृथक्-पृथक् हो जाती हैं व दोनों मोनो-सैक्राइड प्राप्त हो जाते हैं।

डाइ-सैक्राइड जल में घुलनशील व रवे बनाने की क्षमतायुक्त होते हैं। इन कार्बोहाइड्रेट में मोनो- सैक्राइड की अपेक्षा मिठास अधिक होती है। डाइ-सैक्राइड के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

(i) सुक्रोज (Sucrose) - सुक्रोज का गन्ने या चुकन्दर की शर्करा भी कहते हैं। जो शक्कर या चीनी हम दैनिक प्रयोग में लाते हैं वह रासायनिक रूप से सुक्रोज ही है। पाचक एन्जाइम या जलीय अपघटन (Hydrolysis) की क्रिया द्वारा सुक्रोज का 1 अणु ग्लूकोज व 1 अणु फ्रक्टोज में. विघटित हो जाता है।

पाचन नाल में सुक्रोज का पाचन ग्लूकोज व फ्रक्टोज के रूप में होता है और तभी वह कोशिकाओं द्वारा अवशोषित करके शरीर हेतु प्रयुक्त किया जाता है। सुक्रोज की उपस्थिति गन्ने, चुकन्दर व ताड़ आदि में होती है।

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(ii) माल्टोज (Maltose) - माल्टोज अंकुरित अनाजों (जैसे जवा), माल्टयुक्त धान्य व दूध आदि में पाया जाता है। इसे जवा शर्करा भी कहते हैं। जब शरीर में पॉली-सैक्राइड स्टार्च का पाचन होता है तो मध्यवर्ती पदार्थ के रूप में माल्टोज बनता है जिसका अन्ततः ग्लूकोज के रूप में पाचन होता है। माल्टोज पर पाचक एन्जाइम की (डायस्टेज) क्रिया से 2 अणु मोनो-सैक्राइड या ग्लूकोज के बनते हैं। ये दोनों अणु ग्लूकोज के ही (एक से) होते हैं।

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(iii) लैक्टोज (Lactose) - लैक्टोज सभी स्तनधारियों के दूध में उपस्थित रहता है। इसलिए इसे दुग्ध शर्करा भी कहते हैं। लैक्टोज अम्ल तत्वों द्वारा उद्विच्छेदित हो जाता है जिसके कारण दूध का स्वाद प्रभावित होता है। यह डाइ- सैक्राइड पाचन के फलस्वरूप 1 अणु ग्लूकोज व 1 अणु गैलेक्टोज में विभक्त हो जाता है।

लैक्टोज = ग्लूकोज + गैलक्टोज

(3) पॉली-सैक्राइड्स (Poly Saccharides)-

पॉली-सैक्राइड्स 3 या 3 से अधिक मोनो-सैक्राइड्स की इकाइयों से मिलकर बनता है। इसका रासायनिक सूत्र (C6H10O5)n है। n अणुओं की संख्या को प्रदर्शित करता है। ये जटिल कार्बोहाइड्रेट हैं। इनका अणु भार भी अधिक होता है। यह पानी में अघुलनशील व स्वाद में फीके होते हैं। इनका कोई निश्चित आकार नहीं होता।

पॉली-सैक्राइड्स ग्लूकोज अणुओं की लम्बी शृंखला के जुड़ने से बनते हैं। एक पॉली सैक्राइड में 2000 या इससे भी अधिक ग्लूकोज अणु संयुक्त हो सकते हैं। अत्यधिक जटिल रचना होने के कारण कार्बोज के स्थान पर इन्हें स्टार्च ही अधिक कहा जाता है। मुख्य पॉली-सैक्राइडस अग्र प्रकार है-

(i) स्टार्च (Starch) - स्टार्च के रूप में पौधे अपने अन्दर कार्बोहाइड्रेट को संचित कर लेते हैं। इस तरह जो भोजन हम पौधों से प्राप्त करते हैं, उनमें स्टार्च बहुतायत में रहता है। यह जड़, कन्द, बीज व फलों में पाया जाता है। स्टार्च ताप, अम्ल व पाचक एन्जाइम के प्रभाव से डेक्सट्रिन में परिवर्तित हो जाता है। यह डेक्सट्रिन स्टार्च को ग्लूकोज में बदलने की मध्यवर्ती + स्थिति है। स्टार्च विश्लेषण के अन्तिम रूप में ग्लूकोज ही बनता है।

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स्टार्च ठण्डे पानी में अविलेय होते हैं, परन्तु उबलते पानी में डालने से इनकी कोशिका की बाह्य भित्ति फट जाती है। अन्दर से नन्हे नन्हे स्टार्च कण निकलकर पानी में आ जाते हैं जल शोषित कर वे स्टार्च कण फूल जाते हैं और लेई के समान गाढ़ा-सा पदार्थ बना लेते हैं। यह क्रिया जिलेटिनीकरण (Gelatinization) कहलाती है।

(ii) ग्लायकोजन (Glycogen) - शरीर में आवश्यकता से अधिक कार्बोज, ग्लायकोजन के रूप में संग्रहित रहती है। ग्लायकोजन को जन्तु स्टार्च भी कहते हैं। इसका कारण यह है कि इसकी शरीर में वही उपयोगिता है जो स्टार्च की पेड़ों में होती है। यह ऊर्जा का संचित भण्डार है। ग्लायकोजन की उपस्थिति यकृत व माँसपेशियों में रहती है। यदि शरीर की आवश्यकता ऊर्जा की पूर्ति भोजन से नहीं हो पाती तब यह संचित ग्लायकोजन विघटित होकर ऊर्जा देने का कार्य करता है।

(iv) सैल्यूलोज (Cellulose) - यह भी एक जटिल कार्बोज है जो कि अघुलनशील व अपाच्य होता है। यह पौधों को आकार व रूप प्रदान करता है। इनका पेड़-पौधों के लिए वही महत्व है जो मानव शरीर में हड्डियों का होता है। मानव शरीर के पाचन अंगों में सैल्यूलोज को पचाने वाले एन्जाइम नहीं होते। अन्य शाकाहारी जन्तुओं जैसे गाय, घोड़ा, बकरी, खरगोश व ऊँट इत्यादि में सैल्यूलोज का पाचन करने वाले एन्जाइम रहते हैं जो इनका पाचन ग्लूकोज में कर देते हैं। यद्यपि मानव के लिए सैल्यूलोज का कोई पोषक मूल्य नहीं है फिर भी भोजन में इसकी उपस्थिति लाभदायक है क्योंकि यह भोजन को भार प्रदान करता है। इसमें प्रायः रेशे रहते हैं इसलिए इसे रफेज (Roughage) कहते हैं। यह आमाशय व आँत की माँसपेशियों की संकुचन की गति को तीव्रता प्रदान करता है जिससे भोजन पचकर आसानी से बाहर निकल जाता है और कब्ज की सम्भावना नहीं रहती।

(iv) पैक्टिन (Pectin) - पैक्टिन पके हुए फल जैसे सेब, अमरूद व शलजम, मैथी इत्यादि सब्जियों में पाया जाता है। हल्के अम्लीय माध्यम में चीनी के साथ तरल अवस्था में पकाने पर यह जैली के रूप में आ जाता है। इसी विशेषता के कारण जैम या जैली बनाने के लिए पैक्टिन का उपयोग करते हैं। पैक्टिन की शरीर में उपयोगिता का कोई संकेत नहीं मिला है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- दैनिक आहारीय मात्राओं से आप क्या समझते हैं? आर.डी.ए. का महत्व एवं कार्य बताइए।
  2. प्रश्न- आहार मात्राएँ क्या हैं? विभिन्न आयु वर्ग के लिये प्रस्तावित आहार मात्राओं का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- संदर्भित महिला व पुरुष को परिभाषित कीजिए एवं पोषण सम्बन्धी दैनिक आवश्यकताओं का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं से आप क्या समझते हैं? दैनिक प्रस्तावित मात्राओं को बनाते समय ध्यान रखने योग्य आहारीय निर्देशों का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  6. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  7. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिये एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन-किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  8. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  9. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित आवश्यकता की विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- प्रस्तावित दैनिक आवश्यकता के निर्धारण का आधार क्या है?
  11. प्रश्न- शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व कौन-कौन से हैं? इन तत्वों को स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में वर्गीकृत कीजिए।
  12. प्रश्न- भोजन क्या है?
  13. प्रश्न- उत्तम पोषण एवं कुपोषण के लक्षणों में क्या अन्तर है?
  14. प्रश्न- हमारे लिए भोजन क्यों आवश्यक है?
  15. प्रश्न- शरीर में जल की क्या उपयोगिता है
  16. प्रश्न- क्या जल एक स्थूल पोषक तत्व है?
  17. प्रश्न- स्थूल पोषक तत्व तथा सूक्ष्म पोषक तत्वों में अंतर बताइये।
  18. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट किसे कहते हैं? इसकी प्राप्ति के स्रोत तथा उपयोगिता बताइये।
  19. प्रश्न- मानव शरीर में कार्बोहाइड्रेट की कमी व अधिकता से क्या हानियाँ होती हैं?
  20. प्रश्न- आण्विक संरचना के आधार पर कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण किस प्रकार किया जा सकता है? विस्तारपूर्वक लिखिए।
  21. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का मानव शरीर में किस प्रकार पाचन व अवशोषण होता है?
  22. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट की उपयोगिता बताइये।
  23. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट क्या है? इसके प्राप्ति के स्रोत बताओ।
  24. प्रश्न- प्रोटीन से क्या तात्पर्य है? मानव शरीर में प्रोटीन की उपयोगिता बताइए।
  25. प्रश्न- प्रोटीन को वर्गीकृत कीजिए तथा प्रोटीन के स्रोत तथा कार्य बताइए। प्रोटीन की कमी से होने वाले रोगों के बारे में भी बताइए।
  26. प्रश्न- प्रोटीन के पाचन, अवशोषण व चयापचय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- प्रोटीन का जैविक मूल्य क्या है? प्रोटीन का जैविक मूल्य ज्ञात करने की विधियाँ बताइये।
  28. प्रश्न- प्रोटीन की दैनिक जीवन में कितनी मात्रा की आवश्यकता होती है?
  29. प्रश्न- प्रोटीन की अधिकता से क्या हानियाँ हैं?
  30. प्रश्न- प्रोटीन की शरीर में क्या उपयोगिता है?
  31. प्रश्न- प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव लिखिए।
  32. प्रश्न- वसा से आप क्या समझते हैं? वसा प्राप्ति के प्रमुख स्रोत एवं उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - वसा का पाचन एवं अवशोषण।
  34. प्रश्न- वसा या तेल का रासायनिक संगठन बताते हुए वर्गीकरण कीजिए।
  35. प्रश्न- वसा की उपयोगिता बताओ।
  36. प्रश्न- वसा के प्रकार एवं स्रोत बताओ।
  37. प्रश्न- वसा की विशेषताएँ लिखिए।
  38. प्रश्न- पोषक तत्व की परिभाषा दीजिए। सामान्य मानव संवृद्धि में इनकी भूमिका का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- विटामिनों से क्या आशय है? इनके प्रकार, प्राप्ति के साधन एवं उनकी कमी से होने वाले रोगों के विषय में विस्तारपूर्वक लिखिए।
  40. प्रश्न- विटामिन
  41. प्रश्न- विटामिन 'ए' क्या है? विटामिन ए की प्राप्ति के साधन तथा आहार में इसकी कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- विटामिन डी की प्राप्ति के साधन बताइये।
  43. प्रश्न- विटामिन सी की कमी से क्या हानियाँ हैं?
  44. प्रश्न- विटामिन डी की दैनिक प्रस्तावित मात्रा बताइये।
  45. प्रश्न- वसा में घुलनशील व जल में घुलनशील विटामिनों में क्या अन्तर है?
  46. प्रश्न- खनिज तत्वों से आप क्या समझते है? खनिज तत्वों का कार्य बताइए।
  47. प्रश्न- फॉस्फोरस एवं लोहे की प्राप्ति, स्रोत, कार्य व इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- कैल्शियम की प्राप्ति के साधन कार्य तथा इसकी कमी से होने वाली हानियों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- जिंक की कमी से शरीर को क्या हानि होती है? इनकी प्राप्ति के साधन उदाहरण सहित समझाइए।
  50. प्रश्न- आयोडीन का महत्व बताइये।
  51. प्रश्न- सोडियम का भोजन में क्या महत्व है?
  52. प्रश्न- ताँबे का क्या कार्य है?
  53. प्रश्न- शरीर में फ्लोरीन की भूमिका लिखिए।
  54. प्रश्न- शरीर में मैंगनीज का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- शरीर में कैल्शियम का अवशोषण तथा चयापचय की संक्षिप्त में व्याख्या कीजिए।
  56. प्रश्न- आहारीय रेशे का क्या अर्थ है? आहारीय रेशों का संगठन, वर्गीकरण एवं लाभ लिखिए।
  57. प्रश्न- भोजन में रेशेदार पदार्थों का क्या महत्व है? रेशेदार पदार्थों के स्रोत एवं प्रतिदिन की आवश्यकता का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- फाइबर की कमी शरीर पर क्या प्रभाव डालती है?
  59. प्रश्न- फाइबर की अधिकता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  60. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों में फाइबर की मात्रा को तालिका द्वारा बताइए।
  61. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  62. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  63. प्रश्न-
  64. प्रश्न-
  65. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  67. प्रश्न- भोजन में मसालों की उपयोगिता बताइये।
  68. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  69. प्रश्न- 'भोज्य मिलावट' क्या होती है, समझाइये।
  70. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया से बनाये जाने वाले पदार्थों का वर्णन कीजिए तथा खमीरीकरण प्रक्रिया के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अनुपूरक व विस्थापक पदार्थों से आपका क्या अभिप्राय है? उनका विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- विभिन्न खाद्य पदार्थों का फोर्टीफिके शनकि स प्रकार से किया जाता है? वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भोजन की पौष्टिकता को बढ़ाने वाले विभिन्न तरीके क्या होते हैं? विवरण दीजिए।
  74. प्रश्न- अंकुरीकरण तथा खमीरीकरण किस प्रकार से भोजन के पौष्टिक मूल्य को बढ़ाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- खमीरीकरण की प्रक्रिया किन बातों पर निर्भर करती हैं।
  76. प्रश्न- खमीरीकरण पर टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  78. प्रश्न- 'आहार आयोजन' करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  79. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  81. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  82. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  83. प्रश्न- 'आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  84. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  85. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये। किशोरी का आहार आयोजन करते समय आप किन पौष्टिक तत्वों का ध्यान रखेंगे?
  86. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझते हैं?
  87. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को कितनी ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  89. प्रश्न- कैटरिंग की संकल्पना से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  90. प्रश्न- भोजन करते समय शिष्टाचार सम्बन्धी किन बातों को ध्यान में रखा जाता है?
  91. प्रश्न- भोजन प्रबन्ध सेवा (Catering Service) के विभिन्न प्रकारों को विस्तार से समझाइए।
  92. प्रश्न- एक गृहिणी अपने घर में किस प्रकार सुन्दर मेज सजाकर रखती है? समझाइए।
  93. प्रश्न- 'भोजन परोसना भी एक कला है।' इस कथन को समझाइए।
  94. प्रश्न- केटरिंग सेवाओं की अवधारणा और सिद्धान्त समझाइये।
  95. प्रश्न- 'स्वयं सेवा' के लाभ तथा हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- छोटे और बड़े समूह में परोसने की विधियों की तुलना कीजिये।
  97. प्रश्न- Menu से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार के Menu को समझाइये।
  98. प्रश्न- बड़े समूह की भोजन व्यवस्था पर एक टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- कैन्टीन का लेखा-जोखा कैसे रखा जाता है? समझाइए।
  100. प्रश्न- बड़े समूह को खाना परोसते समय आप कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखेंगे तथा अपने संस्थान में एक लड़कियों के लिये कैंटीन की योजना कैसे बनाएंगे? विस्तारपूर्वक समझाइए।
  101. प्रश्न- खाद्य प्रतिष्ठान हेतु क्या योग्यताओं की आवश्यकता तथा प्रशिक्षण आवश्यक है? समझाइए।
  102. प्रश्न- बुफे शैली में भोजन किस प्रकार परोसा जाता है?
  103. प्रश्न- चक्रक मेन्यू क्या है?
  104. प्रश्न- 'पानी के जहाज (Ship) पर भोजन की व्यवस्था' इस विषय पर टिप्पणी करिये।
  105. प्रश्न- मेन्यू के सिद्धांत क्या हैं? विभिन्न प्रकार के मेन्यू के बारे में लिखिये।

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